ध्यान शरीर की एक अवस्था होती हैं।
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ये सभी धर्म और पूजा से अलग होता है। ध्यान एक प्रक्रिया होती है जिसे बार-बार करने से साधक को अंदर की ओर ले जाता है। ध्यान हमें खुद से जुड़ने का अवसर प्रदान करता हैं।

meditation
ध्यान क्यों करें ?
ध्यान वह प्रक्रिया या अवस्था है।जहां पर हमें वापस खुद से मिलवाने का रास्ता है। क्योंकि हम अंदर से बिल्कुल खाली हो चुके है। अगर है तो बस केवल आशा और मुश्किले।
इससे हम अपने अंदर के गहरे रहस्यों से बिल्कुल अनजान है। हम जितना इस बाहरी संसार को बदलने में लगे रहते हैं। उससे कहीं ज्यादा जरूरी होता है।
हम अपने अंदर छिपे रहस्यों और अपने अंदर असीमित पावर के भंडार को जानने की कोशिश करें। हमें ध्यान करना चाहिए अपने बेहतर जीवन की ओर बढ़ने के लिए।
मैडिटेशन (ध्यान)अंदर की यात्रा

आज की दुनिया मुस्किलो, भाग्दोद व् जिम्मेदारियो से बरी हुई है। हर दिन मनुष्य के जीवन में काम, आशाये, भावनाए व् जिम्मेदारी में उलझे बैठे है।
हम बाहरी दुनियावी मान-सम्मान, सुख-सुविधा, और सफलताओ के पीछे भागते रहते है, जबकि असली पहचान हमारे अंदर छिपी बैठी है उसे हम भूल गए है।
इन सभी के कारण हम अपनी मन की शांति को घूम कर बैठे इसी शांति की तालश हमे फिर से मैडिटेशन यानि की ध्यान की ओर ले जाती है।
ध्यान कोई न्यू विचारधारा, प्रक्रिया नहीं है, यह तो सदियों से चली आ रही एक पुँरानी साधना है अब तो इस बात को विज्ञान भी मानता है।
हिन्दू धर्म में हजारो साल पहले से ही ध्यान साधना क प्रचलन है।
ध्यान कैसे करें? (मार्गदर्शन )
ध्यान करना बहुत सरल होता हैं, लेकिन शुरुआती दिनों में मन को समझाना थोड़ा कठिन सा लगता हैं।
1.स्थान कैसा होना चाहिए।

एक शांत जगह चुने। ऐसी जगह बैठ जाये जहाँ किसी तरह का भी शोर-गुल ना हो।
मोबाइल से दुरी बना के रखे या फिर साइलेंट पर रखे।
2.कमर सीधी होनी चाहिए।
आप जमीन पर बैठ सकते हो या कुर्सी पर अपनी सुविधा अनुसार चयन कर ले।
बस शर्त एक हैं रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। अब अपनी आंखे धीरे से बंद कर ले।
3.साँसो पर ध्यान दे।
सीधा बैठने के बाद अब अपने सांस की लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को महसूस करें।
तरह तरह के विचार आने शुरू हो जायगे पर उन्हें रोके नहीं आने दे।
बस आप इस प्रक्रिया को करते रहिये, तो आपका मन शांत होने लगेगा और विचार आने बंद हो जायगे।
शुरुआती दिनों में 5 मिनट ही करें धीरे -धीरे समय बढ़ाते रहिये। एक दिन दिन में 15-30 मिनट में बहुत असरदार होता है।
बाकी आप समय को 60 मिनट या इससे अधिक भी बढ़ा सकते हैं।


ध्यान का प्रकार

ध्यान करने की बहुत सी प्राचीन विधियां है जो निम्न प्रकार हैं।
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1.स्थूल ध्यान
इस प्रक्रिया में किसी बाहरी आलबन जैसे की किसी मूर्ति, भजन कीर्तन या ज्योति पर ध्यान केंद्रित किया जाता हैं।
2.सुक्षम ध्यान
इस प्रक्रिया में आंखे बंद करके किसी रूप या चक्र का मानसिक दर्शन किया जाता हैं और साथ में मंत्रो का जाप किया जाता हैं।
3.कारण ध्यान
इस प्रक्रिया में ईस्ट के दर्शन के साथ -साथ मंत्र की ध्वनि पर धियान देता हैं।
यह सूक्ष्म ध्यान की परिपक्व अवस्था होती है।
ध्यान करने के अन्य प्रकार
साँसो द्वारा
अपनी अपनी साँसो को महसूस करना मतलब की साँसो के लेने-छोड़ने की प्रक्रिया की अनुभूति करना।
मंत्र जाप
इस प्रक्रिया में किसी मंत्र या शब्द का बार – बार उच्चारण करना और उस शब्द की ध्वनि पर फोकस करना। उदाहरण के लिए ॐ या फिर कोई बीज मंत्र आदि।
प्रकृति
किसी पार्क, पहाड़ी या खुली जगह में बैठ कर पेड़, आकाश या हवा आदि प्रकृति चीजों की अनुभूति करना।
शरीर को देखकर
साधक चाहे तो यह प्रक्रिया भी ध्यान करने हेतु अपना सकता है।
इसमें शरीर के अंगों की अनुभूति करनी होती हैं, और सारे तनाव से मुक्त होना पड़ता हैं।
नोट :- ध्यान करने की और भी बहुत प्रक्रिया होती हैं। आगे के लेख में पढ़ने को मिलेगी।
ध्यान का असर

ध्यान का असर हमें तुरंत नहीं दिखाई देता है इसमें कुछ समय बाद ही असर देखने को मिलता है।
यह एक यात्रा है जिसमें रोज का अभ्यास व धेर्य चाहिए।
ऐसा नहीं है कि इसे करने से लाभ नहीं होगा रोजाना थोड़ा-थोड़ा समय देने से आप धीरे-धीरे अंतर महसूस करेंगे।
ध्यान हमें अपने मन की सोच को फिट रखने के लिए जरूर करना चाहिए। शुरुआती दिनों में मन बहुत भागता है लेकिन अगर आप लगातार अभ्यास करेंगे तो आपकी बात मनमानी लगा और शांत हो जाएग।
ध्यान करते समय कुछ बातें याद रखें

खुद की तुलना किसी से नहीं करें, हर व्यक्ति का ध्यान करने का अनुभव व तरीका अलग हो सकता हैं।
अगर संभव हो सके तो एक ही समय पर रोज ध्यान करने की आदत डालें।
ध्यान करने से पहले पेट पर भोजन न करें क्योंकि खाली पेट ध्यान करने से बेहतर अनुभूति होती है।
ध्यान हमेशा शांति प्रिया जगह पर ही करना चाहिए। जिससे हमारा मन इधर-उधर नहीं भागता।
ध्यान करने से हमारे जीवन में बदलाव
एकाग्रता
ध्यान की प्रक्रिया अपनाने से दिमाग की फोकस करने की शक्ति बढ़ती शुरू हो जाती है।
जिससे सभी तरह के काम या किसी रचनात्मक कामों में सुधार देखने को मिलता है।
नींद
ध्यान वरदान है उन लोगों के लिए जो लोग अच्छे से सो नहीं पाते। जैसे ध्यान करने से मन शांत होगा तो नींद अच्छी आने लगेगी।
भावनात्मक संतुलन

ध्यान से हम अपनी भावनाओं को पहचान करने में मदद मिलती है और स्वीकार करने की शक्ति मिलती हैं।
मन शांति
जब हम नियमित रूप से ध्यान करने में लग जाते हैं तो दिमाग की नेगेटिव धीरे-धीरे खत्म होने लग जाती है। जिससे तनाव, चिंता और गुस्सा कम हो जाता हैं, और एक टाइम पर आकर ना के बराबर हो जाता हैं।
लिखते – लिखते “आख़री में– “
ध्यान जीवन का सहज वह कठिन दोनों प्रकार का हिस्सा हो सकता है।
इसे करने के लिए कोई योग्यता व कोई उम्र नहीं चाहिए बस चाहिए तो रोज कुछ पल खुद को देने एक इच्छा होनी चाहिए।
हमें एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ने मैं खुद को समझने के लिए ध्यान करने की जरूरत है।
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