7 चक्र

हमारे लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे शरीर के अंदर जो सूक्ष्म केंद्र है, मैं आखिरकार होते क्या है। हमारे शरीर के अंदर एक सूक्ष्म ऊर्जा तंत्र काम करता है जिन्हें हम सब 7 चक्र के नाम से जानते हैं। चक्र का मतलब होता है घूमने या कोई घूमने वाली वस्तु। हमारा शरीर केवल मांस व हड्डियों का कंकाल ही नहीं बल्कि अनेक तरह के ब्रह्मांड लोक में ऐसी शक्तियों का भंडार है। 7 चक्र हमारे जीवन को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

चक्र क्या है?

हमारे शरीर के अंदर एक बहुत सूक्ष्म ऊर्जा तंत्र जिसे जानना हम सबके लिए बहुत जरूरी है। यह सातों चक्र ही इस सूक्ष्म ऊर्जा तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। चक्र चक्र घूमती हुई उसे जगह केंद्र होता है जो हमारे जीवन की हर सेकंड को प्रभावित करता है। शुरू में यह सब सुना बकवास या काल्पनिक लगता है, परंतु या पूर्ण सही है और ऐसा संभव है लड़की मनुष्य की रचनाओं की इस प्रकार से की गई है यदि हम चाहे तो दूर-दूर तक पहले इस ब्रह्मांड के साथ अपना संबंध बना सकते हैं और इसका भरपूर आनंद अपने जीवन में ले सकते हैं। यह चक्र सोचने से लेकर स्वास्थ्य इच्छा और संबंधों तक हमें प्रभावित करते हैं। आयुर्वेद का योग मानता है हमारे शरीर में सात चक्र मुख्य होते हैं। यह चक्र रीढ़ की हड्डी मेरुदंड के आधार से लेकर सिर के शीर्ष तक विराजमान होते हैं।

7 चक्र का संतुलन अत्यंत आवश्यक है ताकि हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

आध्यात्मिकता में 7 चक्र का महत्व अद्वितीय है।

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7 चक्र के माध्यम से हम अपनी ऊर्जा को पुनः सक्रिय कर सकते हैं।

सूक्ष्म केंद्र या चक्र

अगर निचले केंद्र से शुरू करें तो इसका वर्णन ऐसे होता है।

1. मूलाधार चक्र( ROOT CHAKRA)

चक्र हमारे शरीर का सबसे पहले चक्र होता है और हमारी नीव इसी चक्र से जुड़ी होती है। इसे मूलाधार चक्र (मूल चक्र ) या ‘गुदाचक्र’ भी कहा जाता है।

इसे आध्यात्मिक दृष्टि कौन से संत महात्माओं ने कर चार कमल दल भी गया है। यह चक्र मलद्वार के पास विमान होता है यह मल त्याग करने के कार्य की व्यवस्था को देखता है। इन सभी केदो का आकार कमल के फूल के समान होता है।

स्थान :- मेरुदंड का निचला भाग(गुदा स्थान )

रंग :- लाल

तत्व :-पृथ्वी

फायदा :- 7 चक्र के संतुलन से स्थिरता, सुरक्षा, अस्तित्व और आत्मविश्वास का अनुभव होता है।

संतुलन होने पर विपरीत परिस्थिति देखने को मिलती है।

बीज मन्त्र :- LAM

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2. स्वादिष्ठान चक्र (SACRAL CHAKRA )

यह चक्र मूलाधार चक्र से ऊपर की ओर का दूसरा चक्र होता है। इस जगह को लिंग चक्र भी किया जाता है। इसे अन्य नामो से भी जाना जाता हैं – जैसे इंद्रीय चक्र आदि। यह नाड़ीजाल (SACRAL PLEXUS ) के पास विराजमान होता हैं। इसका संबंध प्रजनन से होता हैं।

स्थान :- नारंगी

तत्त्व :- जल

फायदा :- यह चक्र हमारी भावना रचनात्मकता के संबंधों से जुड़ा होता है। इसके सक्रिय होने पर प्रेम का भाव होना शुरू होता है। असक्रिय होने पर विपरीत प्रभाव देखने को मिलता हैं।

बीज मंत्र :-

3.मणिपुर चक्र ( SOLAR PLEXUS CHAKRA)

तीसरी चक्र को नाभि चक्र के नाम से भी जाना जाता है। इस चक्र की आठ पखुडिया होती है। इसका संबंध सीधे हमारे पेट से होता है या यह हमारे पोषण के कार्यों की व्यवस्था करता है।

रंग :-पीला (Yellow)

तत्व :- अग्नि

फायदा :- आत्म बल, नियंत्रण आदि। यह जगह हमारी इच्छा शक्ति और निर्णय लेने की शक्ति से जुड़ा होता है।

बीज मंत्र :-RAM

4.अनाहत चक्र (HEART CHAKRA )

अनहद चक्र हृदय चक्र यह चौथा सूक्ष्म केंद्र है इसका संबंध खून के दौरे और हमारी सांस क्रिया के साथ होता है क्योंकि हृदय स्वास तंत्र का भाग है।

स्थान:- हृदय वाला भाग

रंग:-हरा (Green)

तत्व:-वायु

फायदा:- 7 चक्र के साथ जुड़ाव हमें दूसरों से जोड़ता है।

बीज मंत्र :- YAM

5.विशुद्ध चक्र (Throat Chakra )

विशुद्ध चक्र हमारे सरीर का पांचवा उर्जा का केंद्र है जो की कंठ में विराजमान होता है | यह चक्र संचार और सत्य से जुडा हुआ है | इसी चक्र की वजह से हम दुसरो की बातो को गहराई से सुन व् समझ पाते है |

स्थान :-गला

रंग :- नीला

तत्व :- आकाश

फायदा :- यह चक्र हमे सच्चाई और सवांद शक्ति को प्रभावशील बनाता है | इस चक्र के असक्रिय होने पर विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है |

बीज मंत्र :- HAM

6.आज्ञा चक्र(Third Eye Chakra )

यह चक्र हमारे शरीर का छठा चक्र है जिसे तीसरी आंख भी कहते हैं। यह चक्र हमारी बुद्धि, अंतर ज्ञान और आध्यात्मिक विचारों से जुडा हैं। इस चक्र के सक्रिय होने पर चीजे बाहरी नहीं अंदर की दृष्टि से दिखना शुरू हो जाती हैं।

स्थान :- दोनों आँखों के बीच की जगह

रंग :- गहरा नीला

तत्व :- प्रकाश

फायदा :- इस चक्र के सक्रिय हो जाने पर हमें अपने विचारों में स्पष्टता नजर आती हैं।

बीज मन्त्र :-OM

7. सहस्रार चक (Crown chakra )

यह चक्र आध्यात्मिक ऊर्जा का सबसे बड़ा केंद्र माना गया है और हमारा अंतिम चक्र हैं।

यह आत्मज्ञान और चेतना का प्रतिक हैं।

स्थान :-सिर का शीर्ष

रंग :- बेगनी या स्वेत

7 चक्र के माध्यम से हम अपनी आंतरिक शक्ति को जान सकते हैं।

7 चक्र का अभ्यास हमें जीवन में सकारात्मकता लाता है।

7 चक्र की व्याख्या से जीवन में संतुलन और ऊर्जा की प्रवाह बढ़ता है।

7 चक्र का ध्यान और आंतरिक जागरूकता में बढ़ोतरी होती है।

7 चक्र का अभ्यास हमें हमारे अंदर की शक्तियों को पहचानने में मदद करता है।

7 चक्र के माध्यम से हम सभी को जोड़ने का प्रयास कर सकते हैं।

7 चक्र हमारे जीवन को सकारात्मकता से भर देते हैं।

7 चक्र का संतुलन हमारे जीवन में सुख और शांति लाता है।

7 चक्र के माध्यम से हम आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

7 चक्र का सही अभ्यास हमें सही दिशा में ले जाता है।

7 चक्र के माध्यम से हम अपनी भावनाओं को संतुलित कर सकते हैं।

7 चक्र का ध्यान हमें मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

7 चक्र के अभ्यास से स्वास्थ्य और खुशी में वृद्धि होती है।

7 चक्र के माध्यम से हम अपने जीवन में नई ऊर्जा भर सकते हैं।

शरीर में ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने के लिए 7 चक्र महत्वपूर्ण हैं।

7 चक्र के साथ ध्यान से जीवन में संतुलन और शांति प्राप्त की जा सकती है।

7 चक्र का प्रत्येक केंद्र हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।

तत्व :- ब्रह्मांड की ऊर्जा

फायदा :- इस चक्र के सक्रिय हो जाने पर प्रमाण से लगाओ और आत्मज्ञान का प्रभाव देखने को मिलता है।

चक्रो को सक्रिय करने के लिए

7 चक्र का ध्यान करने से ऊर्जा जागृत होती है।

हर चक्र का ध्यान करने से उनकी ऊर्जा को जागृत किया जा सकता हैं।

हर चक्र के बीज मन्त्र का उच्चारण करने से उनको सक्रिय किया जा सकता हैं।

योगा करने से भी सभी चक्रो को सक्रिय किया जा सकता हैं।

आगे आने वाली ब्लॉग पोस्ट में हम सभी चक्रो को विस्तार से पढ़ेंगे।

तीज त्यौहार

ध्यान क्या है

ध्यान शरीर की एक अवस्था होती हैं।

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ये सभी धर्म और पूजा से अलग होता है। ध्यान एक प्रक्रिया होती है जिसे बार-बार करने से साधक को अंदर की ओर ले जाता है। ध्यान हमें खुद से जुड़ने का अवसर प्रदान करता हैं।

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ध्यान क्यों करें ?

ध्यान वह प्रक्रिया या अवस्था है।जहां पर हमें वापस खुद से मिलवाने का रास्ता है। क्योंकि हम अंदर से बिल्कुल खाली हो चुके है। अगर है तो बस केवल आशा और मुश्किले।

इससे हम अपने अंदर के गहरे रहस्यों से बिल्कुल अनजान है। हम जितना इस बाहरी संसार को बदलने में लगे रहते हैं। उससे कहीं ज्यादा जरूरी होता है।

हम अपने अंदर छिपे रहस्यों और अपने अंदर असीमित पावर के भंडार को जानने की कोशिश करें। हमें ध्यान करना चाहिए अपने बेहतर जीवन की ओर बढ़ने के लिए।

मैडिटेशन (ध्यान)अंदर की यात्रा

आज की दुनिया मुस्किलो, भाग्दोद व् जिम्मेदारियो से बरी हुई है। हर दिन मनुष्य के जीवन में काम, आशाये, भावनाए व् जिम्मेदारी में उलझे बैठे है।

हम बाहरी दुनियावी मान-सम्मान, सुख-सुविधा, और सफलताओ के पीछे भागते रहते है, जबकि असली पहचान हमारे अंदर छिपी बैठी है उसे हम भूल गए है।

इन सभी के कारण हम अपनी मन की शांति को घूम कर बैठे इसी शांति की तालश हमे फिर से मैडिटेशन यानि की ध्यान की ओर ले जाती है।

ध्यान कोई न्यू विचारधारा, प्रक्रिया नहीं है, यह तो सदियों से चली आ रही एक पुँरानी साधना है अब तो इस बात को विज्ञान भी मानता है।

हिन्दू धर्म में हजारो साल पहले से ही ध्यान साधना क प्रचलन है।

ध्यान कैसे करें? (मार्गदर्शन )

ध्यान करना बहुत सरल होता हैं, लेकिन शुरुआती दिनों में मन को समझाना थोड़ा कठिन सा लगता हैं।

1.स्थान कैसा होना चाहिए।

एक शांत जगह चुने। ऐसी जगह बैठ जाये जहाँ किसी तरह का भी शोर-गुल ना हो।

मोबाइल से दुरी बना के रखे या फिर साइलेंट पर रखे।

2.कमर सीधी होनी चाहिए।

आप जमीन पर बैठ सकते हो या कुर्सी पर अपनी सुविधा अनुसार चयन कर ले।

बस शर्त एक हैं रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। अब अपनी आंखे धीरे से बंद कर ले।

3.साँसो पर ध्यान दे।

सीधा बैठने के बाद अब अपने सांस की लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को महसूस करें।

तरह तरह के विचार आने शुरू हो जायगे पर उन्हें रोके नहीं आने दे।

बस आप इस प्रक्रिया को करते रहिये, तो आपका मन शांत होने लगेगा और विचार आने बंद हो जायगे।

शुरुआती दिनों में 5 मिनट ही करें धीरे -धीरे समय बढ़ाते रहिये। एक दिन दिन में 15-30 मिनट में बहुत असरदार होता है।

बाकी आप समय को 60 मिनट या इससे अधिक भी बढ़ा सकते हैं।

ध्यान का प्रकार

ध्यान करने की बहुत सी प्राचीन विधियां है जो निम्न प्रकार हैं।

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1.स्थूल ध्यान

इस प्रक्रिया में किसी बाहरी आलबन जैसे की किसी मूर्ति, भजन कीर्तन या ज्योति पर ध्यान केंद्रित किया जाता हैं।

2.सुक्षम ध्यान

इस प्रक्रिया में आंखे बंद करके किसी रूप या चक्र का मानसिक दर्शन किया जाता हैं और साथ में मंत्रो का जाप किया जाता हैं।

3.कारण ध्यान

इस प्रक्रिया में ईस्ट के दर्शन के साथ -साथ मंत्र की ध्वनि पर धियान देता हैं।

यह सूक्ष्म ध्यान की परिपक्व अवस्था होती है।

ध्यान करने के अन्य प्रकार

साँसो द्वारा

अपनी अपनी साँसो को महसूस करना मतलब की साँसो के लेने-छोड़ने की प्रक्रिया की अनुभूति करना।

मंत्र जाप

इस प्रक्रिया में किसी मंत्र या शब्द का बार – बार उच्चारण करना और उस शब्द की ध्वनि पर फोकस करना। उदाहरण के लिए ॐ या फिर कोई बीज मंत्र आदि।

प्रकृति

किसी पार्क, पहाड़ी या खुली जगह में बैठ कर पेड़, आकाश या हवा आदि प्रकृति चीजों की अनुभूति करना।

शरीर को देखकर

साधक चाहे तो यह प्रक्रिया भी ध्यान करने हेतु अपना सकता है।

इसमें शरीर के अंगों की अनुभूति करनी होती हैं, और सारे तनाव से मुक्त होना पड़ता हैं।

नोट :- ध्यान करने की और भी बहुत प्रक्रिया होती हैं। आगे के लेख में पढ़ने को मिलेगी।

ध्यान का असर

ध्यान का असर हमें तुरंत नहीं दिखाई देता है इसमें कुछ समय बाद ही असर देखने को मिलता है।

यह एक यात्रा है जिसमें रोज का अभ्यास व धेर्य चाहिए।

ऐसा नहीं है कि इसे करने से लाभ नहीं होगा रोजाना थोड़ा-थोड़ा समय देने से आप धीरे-धीरे अंतर महसूस करेंगे।

ध्यान हमें अपने मन की सोच को फिट रखने के लिए जरूर करना चाहिए। शुरुआती दिनों में मन बहुत भागता है लेकिन अगर आप लगातार अभ्यास करेंगे तो आपकी बात मनमानी लगा और शांत हो जाएग।

ध्यान करते समय कुछ बातें याद रखें

खुद की तुलना किसी से नहीं करें, हर व्यक्ति का ध्यान करने का अनुभव व तरीका अलग हो सकता हैं।

अगर संभव हो सके तो एक ही समय पर रोज ध्यान करने की आदत डालें।

ध्यान करने से पहले पेट पर भोजन न करें क्योंकि खाली पेट ध्यान करने से बेहतर अनुभूति होती है।

ध्यान हमेशा शांति प्रिया जगह पर ही करना चाहिए। जिससे हमारा मन इधर-उधर नहीं भागता।

ध्यान करने से हमारे जीवन में बदलाव

एकाग्रता

ध्यान की प्रक्रिया अपनाने से दिमाग की फोकस करने की शक्ति बढ़ती शुरू हो जाती है।

जिससे सभी तरह के काम या किसी रचनात्मक कामों में सुधार देखने को मिलता है।

नींद

ध्यान वरदान है उन लोगों के लिए जो लोग अच्छे से सो नहीं पाते। जैसे ध्यान करने से मन शांत होगा तो नींद अच्छी आने लगेगी।

भावनात्मक संतुलन

ध्यान से हम अपनी भावनाओं को पहचान करने में मदद मिलती है और स्वीकार करने की शक्ति मिलती हैं।

मन शांति

जब हम नियमित रूप से ध्यान करने में लग जाते हैं तो दिमाग की नेगेटिव धीरे-धीरे खत्म होने लग जाती है। जिससे तनाव, चिंता और गुस्सा कम हो जाता हैं, और एक टाइम पर आकर ना के बराबर हो जाता हैं।

लिखते – लिखते “आख़री में– “

ध्यान जीवन का सहज वह कठिन दोनों प्रकार का हिस्सा हो सकता है।

इसे करने के लिए कोई योग्यता व कोई उम्र नहीं चाहिए बस चाहिए तो रोज कुछ पल खुद को देने एक इच्छा होनी चाहिए।

हमें एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ने मैं खुद को समझने के लिए ध्यान करने की जरूरत है।

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